हिन्दी दिवस के अवसर पर डॉ . सुरेन्द्र कुमार जैन ' भारती ' का एकलव्य विश्वविद्यालय , दमोह में व्याख्यान सम्पन्न

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 हिन्दी दिवस के अवसर पर डॉ . सुरेन्द्र कुमार जैन ' भारती ' का एकलव्य विश्वविद्यालय , दमोह में व्याख्यान सम्पन्न

जिला ब्यूरो राहुल गुप्ता दमोह

 दमोह- 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस के अवसर पर हिन्दी विभाग , एकलव्य विश्वविद्यालय , दमोह म.प्र . में एकलव्य विश्वविद्यालय की कुलाधिपति डॉ . सुधा मलैया के मार्गदर्शन में डॉ . सुरेन्द्र कुमार जैन भारती बुरहानपुर का `हिन्दी साहित्य के विकास में जैन कवियों का योगदान` विषय पर व्याख्यान सम्पन्न हुआ । सर्वप्रथम मंगलाचरण श्रीमती अर्चना जैन , शोधार्थी हिन्दी विभाग ने किया । इस व्याख्यान की अध्यक्षता डॉ . ऋषभचन्द्र जैन फौजदार , अधिष्ठाता , कला एवं मानविकी संकाय , एकलव्य विश्वविद्यालय दमोह ने की स्वागत वक्तव्य एकलव्य विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो . पवन कुमार जैन ने प्रस्तुत किया । उन्होंने हिन्दी भाषा के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए सभी अतिथियों का स्वागत किया । डॉ . आशीष कुमार जैन , जैन और प्राकृत अध्ययन विभाग ने वक्ता का परिचय दिया और कहा कि विशेष व्याख्यान के प्रमुख वक्ता कर्मयोगी डॉ . सुरेन्द्र कुमार जैन ' भारती ' जी सेवासदन महाविद्यालय बुरहानपुर म.प्र में हिन्दी विभाग एवं हिन्दी शोध केन्द्र के अध्यक्ष के रूप में अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं । आप वर्तमान में अखिल भारतवार्षीय दिगम्बर जैन विद्वत परिषद के उपाध्यक्ष हैं , आपका एकलव्य विश्वविद्यालय हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन करता है ,मुख्य वक्ता डॉ . सुरेन्द्र कुमार जैन भारती ने कहा- हम सभी गौरवान्वित है कि हमें इस भारत देश में जन्म लेने का अवसर प्राप्त हुआ और हमारे देश की मातृभाषा हिन्दी है , जिसके संरक्षण - संवर्धन हेतु एकलव्य विश्वविद्यालय का हिन्दी विभाग सराहनीय कार्य कर रहा है जैन हिन्दी साहित्य के प्रारम्भिक इतिहास से लेकर के आधुनिक हिन्दी साहित्य एवं कवियों की प्रमुख जानकारी प्रदान की । आपने हिन्दी भाषा के उद्भव एवं विकास पर कालक्रम की दृष्टि से विस्तृत चर्चा की । इस व्याख्यान में अध्यक्षीय वक्तव्य में प्रो . ऋषभचन्द्र जैन फौजदार ने कहा की हिन्दी हमारी धरोहर है . इस धरोहर को संजोकर रखना चाहिए और उसके विकास के हमेशा उसका उपयोग करना चाहिए । डॉ . आशीष जैन , संस्कृत विभागाध्यक्ष ने संचालन करते हुए कहा- एकलव्य विश्वविद्यालय में हिन्दी भाषा के विकास में अनेक कार्य चल रहे हैं , जो शोध के रूप में हमारे सामने आयेंगे । वही ओजस्विनी महाविद्यालय की प्राचार्य डॉक्टर शमा जे पी खानम ने बताया कि हिंदी को सजाय रखने के लिए हिंदी के महत्व को समझना होगा, मध्य प्रदेश सरकार ने अभी मेडिकल की पढ़ाई भी हिंदी में कर दी है अतः हिंदी के महत्व का बढ़ता हुआ रुतबा अब कभी किसी कोई भाषा से कम नहीं होगा,और गर्व से कहो कि हम हिंदी हैं! वही हिंदी विभाग के व्याख्याता डॉ सुधीर गौतम ने बताया कि हिंदी को बचाने के लिएएवं उसके अस्तित्व को संजोए रखने के लिए आपको हिंदी को विशुद्ध करना पड़ेगा क्योंकि शुद्ध रूप से हिंदी विलुप्त होती जा रही है परंतु जब जब उसमें भाषाओं का समायोजन हुआ है हिंदी प्रचलन में आती जा रही है जिससे हिंदी अपना पैर पसार सके एबं अन्य देशों में भी बोली जा सके!


 एकलव्य विश्वविद्यालय में मनाया गया अंतर्राष्ट्रीय सूक्ष्मजीव दिवस जिसमें विद्यार्थियों ने रंगोली प्रतियोगिता के माध्यम से वायरस बैक्टीरिया को बहुत ही सरल सहज तरीके से अन्य लोगों को समझाया और प्रतियोगिता के माध्यम से संदेश दिया कि सूक्ष्मजीव जहां हमारे दुश्मन है वही हमारे दोस्त भी होते हैं ऐसे दोस्त जो रोगों से लड़ने में हमारे प्रति रक्षा तंत्र को मजबूत करते हैं और कुछ सूक्ष्म जीव ऐसे होते हैं जो हमारे प्रति रक्षा तंत्र को अवरुद्ध कर कमजोर करते हैं, ऐसे ही वायरसों में कोरोनावायरस एचआईवी वायरस एवं अन्य प्रकार की रंगोली के माध्यम से बैक्टीरिया वायरस बनाये, निर्णायक के रूप में ओजस्विनी महाविद्यालय की प्राचार्य डॉक्टर शमा जेपी खानम रही जिन्होंने विद्यार्थियों से वार्तालाप भी की और और अंतर्राष्ट्रीय सूक्ष्मजीव दिवस के बारे में विस्तार से समझाया कार्यक्रम के अन्त में हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ . अभिषेक कुमार जैन ने धन्यवाद ज्ञापन किया । इस व्याख्यान में कुलसचिव प्रफुल्ल शर्मा , डॉ .निधि आसाटी डॉ उषा खण्डेलवाल , डॉ . सुधीर गौतम , डॉ . हृदय नारायण तिवारी , डॉ . शैलेन्द्र जैन , डॉ . सूर्यनारायण गौतम, माइक्रोबायोलॉजी विभाग से डॉ अभिषेक,चांदनी पटेल,नीलम सेन, डॉ गुमास्ता, गायत्री,बायोटेक्नोलॉजी विभाग से डॉ शबनम बी,मेघा श्रीवास्तव, उपप्राचार्य पवन मोदी,महवर खान, प्रांजल, शगुफ्ता,आफरीन, सोनू,पहलाद राय अमित चौरसिया, बी एड विभाग से अभिलाषा जैन ज्योति जैन, उपासना समरीन सतीश अखिलेश राकेश तंतुबाय आदि सभी विभागों के विभागाध्यक्ष , प्राध्यापक एवं शोधार्थी उपस्थित रहे ।

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