भगवान से बढ़कर कोई और सुख और संपदा नहीं, कार्तिक मास में भागवत सुनने से होता है कल्याण- किशोरी वैष्णवी गर्ग*

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 *भगवान से बढ़कर कोई और सुख और संपदा नहीं, कार्तिक मास में भागवत सुनने से होता है कल्याण* 

* *--किशोरी वैष्णवी गर्ग* 

जिला ब्यूरो राहुल गुप्ता दमोह 

दमोह- कथा वाचक किशोरी वैष्णवी गर्ग ने कथा की शुरुआत करते हुए कहा कि आप सब पर ठाकुर जी की कृपा है. जिसकी वजह से आप आज कथा का आनंद ले रहे है. मंगलवार को कथा में नारद जी के पूर्व जन्म की कथा व्यास जी द्वारा भागवत बनाना ,, अमरकथा और शुकदेवजी के जन्म का वृतांत का विस्तार से वर्णन किया गया।*

   *कार्तिक मास* 

 *किशोरी जी ने सुनाई आंवला नवमी की व्रत कथा* 

आंवला नवमी की कथा के अनुसार, बहुत समय पहले एक सेठ था। वह हर साल आंवला नवमी के दिन ब्राह्मणों को आंवले के पेड़ के नीचे बैठाकर भोजन कराता था। इसके साथ ही सोना- चांदी आदि भेंट में देता। लेकिन यह सब चीजें सेठ के बेटों को बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती थीं। ऐसे में वह अपने पिता से खूब झगड़ते थे। इन सब चीजों से तंग आकर सेठ ने घर छोड़ दिया और दूसरे गांव में जाकर बस गया। जीवन यापन के लिए एक छोटी सी दुकान कर ली। उस दुकान के आगे एक आंवले का पेड़ लगाया।


भगवान की कृपा इतनी हुई कि दुकान खूब चलने लगी। उसने अपने नियम को न तोड़ते हुए हर साल आंवला नवमी के दिन विधिवत पूजा करने के साथ ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान देना यथावत रखा। वहीं दूसरी ओर सेठ के पुत्रों का व्यापार ठप हो गया। ऐसे में सेठ के बेटों को समझ आने लगा कि वो अपने पिता के भाग्य से ही खाते थे। अपनी गलती समझ कर वे अपने पिता के पास गए और अपनी गलती की माफी मांगने लगे। फिर पिता के कहने के बाद उन्होंने भी आंवले के पेड़ की पूजा करनी शुरू की और दान करने लगे। इसके प्रभाव से सेठ के बेटों के घर पहले की तरह खुशहाली आ गई और सुख- समृद्धि के साथ रहने लगी।


श्रीमद् भागवत महापुराण कथा में यह भी बताया कि अगर आप भागवत कथा सुनकर कुछ पाना चाहते हैं. कुछ सीखना चाहते है तो कथा में प्यासे बन कर आए. कुछ सीखने के उद्देश्य से, कुछ पाने के उद्देश्य से आएं, तो ये भागवत कथा जरूर आपको कुछ नहीं बल्कि बहुत कुछ देगी. मनुष्य का जीवन सांसारिक भोग में नहीं कृष्णभक्ति में बिताएं. मनुष्य जीवन विषय वस्तु को भोगने के लिए नहीं मिला है. लेकिन आज का मानव भगवान की भक्ति को छोड़ विषय वस्तु को भोगने में लगा हुआ है.उसका सारा ध्यान संसारिक विषयों को भोगने में ही लगा हुआ है. मानव जीवन का उद्देश्य कृष्ण प्राप्ति शाश्वत है. उन्होंने कहा कि हमारे जीवन का उद्देश्य कृष्ण को पाकर ही जीवन छोड़ना है और अगर हम ये दृढ़ निश्चय कर लेंगे कि हमें जीवन में क्रष्ण को पाना ही है तो हमारे लिए इससे प्रभु से बढ़कर कोई और सुख, संपत्ति या सम्पदा नहीं है.भागवत कथा श्रवण करने वालों का सदैव कल्याण करती है. भगवत कथा के समय स्वयं श्रीकृष्ण आपसे मिलने आए हैं. जो भी इस भागवत के तट पर आकर विराजमान हो जाता है, भागवत उसका सदैव कल्याण करती है. उन्होंने कहा कि बिना जाति और बिना मजहब देखे इनसे आप जो मांगे यह आपको वो मनवांछित फल देती है और अगर कोई कुछ न मांगे तो उसे मोक्ष पर्यंत तक की यात्रा कराती है. मुख्य यजमान महिला मंडल के अलावा बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे। डाक्टर तरुण श्रीवास्तव एवं सुरेखा कालोनी की महिला मंडल ने सभी से कथा श्रवण करने की अपील की है

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